धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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मनुष्य जन्म का उद्देश्य व लक्ष्य विद्या प्राप्ति एवं ईश्वर-साक्षात्कार

ओ३म् संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति इन तीन अभौतिक व भौतिक पदार्थों का अस्तित्व है। ईश्वर व जीव चेतन

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ईश्वर का ध्यान करने से दुःखों की निवृत्ति होती है

वेद और योग-दर्शन सभी मनुष्यों को ईश्वर का ज्ञान कराकर उन्हें ईश्वर की उपासना का सन्देश देते हैं। ईश्वर का

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धार्मिक व सामाजिक अंधविश्वास व पाखण्डों का कारण अविद्या है

ओ३म् हमारे देश में अनेक प्रकार के धार्मिक व सामाजिक अन्धविश्वास एवं पाखण्ड प्रचलित हैं। इन अन्धविश्वास एवं पाखण्डों का

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हम ईश्वर के गुणों का साक्षात्कार कर उससे लाभ उठा सकते हैं

ओ३म् हम अपने परिवार, मित्र मण्डली तथा पड़ोसी आदि अनेक लोगों को जानते हैं। हम से कोई पूछे कि क्या

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छज्जू का चौबारा – “एक तरफ़ हो जाओ!” 

लाहौर में एक चौबारा था। उसका नाम था ‘छज्जू का चौबारा’। पंजाबी जीवन शैली में लोकोक्ति चर्चित है-‘जो सुख छज्जू

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हे गौ माता! मैं तेरी सेवा, अन्नोत्पत्ति और गोदुग्ध के लिए तुझे पालता हूं

ओ३म् आर्यजगत् के वेदों के उच्च कोटि के विद्वान आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार ने ‘यजुर्वेद ज्योति’ नाम से यजुर्वेद के

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वेद में राष्ट्र का मानचित्र

आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामा राष्ट्रे राजन्य: शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशु: सप्ति: पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठा: सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो

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