हारने को हार नहीं कहते बल्कि हिम्मत हारने को हार कहते हैं।
मेहनत और भाग्य को लोग अलग-अलग करके देखते हैं। यह सामान्य जुमला है कि भाग्य में होगा तब सबकुछ मिलेगा। भाग्य प्रबल होगा तब घर बैठे सबकुछ मिल जाएगा। पर यथार्थ के धरातल पर भाग्य पक्ष को तौल कर देखा जाए तब आपको सबकुछ मिलने की गारंटी बिलकुल भी नहीं मिलेगी और मिलना भी नहीं चाहिए।
व्यक्ति मेहनत करने की बात को लेकर उतना नहीं सोचता जितना भाग्य के प्रबल होने की बात सोचता है। न केवल सोचता है बल्कि उसका सामान्य रूप से यही मानना रहता है कि जो चल रहा है वह अच्छा है और एक न एक दिन भाग्य का चक्र ऐसा घूमेगा कि घर में सुख-समृद्धि सभी कुछ आएगा और इस दिन के इंतजार में आधी जिंदगी यूं ही निकल जाती है।
भाग्य का सहारा मेहनत से ज्यादा लेने का परिणाम घातक ही होता है। एक युवा साथी थे, जो भाग्य के भरोसे ही जीते थे। उनके अनुसार जो भाग्य में लिखा है वह मिलकर रहेगा और उसे उनसे कोई भी छिन नहीं सकता। अगर सफलता प्राप्त करनी है तब भाग्य के भरोसे संभव नहीं बल्कि लगातार मेहनत से ही यह संभव है। जितनी मेहनत करेंगे उतने ही भाग्यशाली भी बनते जाएंगे।जो लोग जीतने की इच्छा को मन में बैठाकर लगातार कोशिश करते हैं उन्हें एक न एक दिन जीत जरूर मिलती है वास्तव में लगातार कोशिश करना ही सफलता की कुंजी है। और जो असफलता से हार कर निराश हो जाते हैं उनसे सफलता कोसों दूर रहती है।असफलता पर निराश होकर बैठ जाने की जगह पर लगातार कोशिश करनी चाहिए। अगर आदमी के अन्दर हिम्मत है ,लगन है और कुछ कर दिखाने का जज्बा.. तो उसके लिए दुनिया की कोई मुसीबत रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती . ऐसे व्यक्ति ने कुछ करने की ठान ली है तो वह उसे पूरा करके ही रहेगा . जीवन में आगे बढ़ने का यही रास्ता भी है . अगर इस जज्बे को हम अपने अन्दर पैदा कर लें तो हमारे लिए कोई काम असंभव नहीं रहेगा .इससे एक दिन अवश्य ही सफलता मिलती है। इसलिए कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
श्रवण कुमार मिश्र
आदरणीय श्री विजय गोयल जी से सहमत! मिहनत तो करनी पड़ेगी ..भाग्य या ईश्वर की अवधारणा मनोबल को बढ़ाते हैं अत: सफल होगा हमारा प्रयास यह मानकर काम करना चाहिए… प्रेरक आलेख
अच्छा और प्रेरक लेख. हारिये न हिम्मत, बिसारिये न हरि नाम !
dhanyvad