लघुकथा

लघुकथा : सीख ….

पति के बीच राह में अकेला छोडकर जाने के दुःख को सहने की शक्ति नहीं बची, तो इरा ने अपना भी जीवन खत्म करने के इरादे से नदी की ओर कदम बढाये | नदी के मुहाने पर खड़ी इरा नदी में कूदने को तैयार ही थी कि तभी उसने देखा कि एक मछली पानी से बाहर आगयी तडफने लगी |

इरा दौडती हुई उस मछली के पास गयी उसे पानी में छोड़ा |

तभी उसका ध्यान अपने दूधमुहे बच्चे की ओर गया ; जिसे वो अकेला घर में छोड़ कर मरने को आ गयी | मरने का ख्याल पता नहीं कहाँ गया वो दौड़ कर अपने तडफते हुए हुए बच्चे के पास पहुँच गयी | उसे कस कर अपने वक्ष से चिपटा लिया बेतहाशा प्यार करने लगी | मन ही मन मछली का धन्यवाद किया | वो बाहर ना आती तो आज उसका नौनिहाल तडफता रह जाता |

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

6 thoughts on “लघुकथा : सीख ….

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    शान्ति बहन , बहुत अच्छी लघु कथा . कभी कभी जिंदगी में छोटी सी घटना इंसान को नए मोड़ पर ला खड़ा करती है .

    • शान्ति पुरोहित

      प्रेरक टिप्पणी के लिए आभार गुरमेल भाई जी

  • प्रवीन मलिक

    खूबसूरत लघुकथा शांति जी ..

    • शान्ति पुरोहित

      आभार, प्रवीन दी.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी और प्रेरक लघु कथा.

    • शान्ति पुरोहित

      धन्यवाद, भैया !

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