विविध

दोस्त विहीन मैं

सीधी सपाट भाषा लिखना जानती हूँ …… कैसे शुरुआत किया जाए और कैसे अंत किया जाए रचना आकर्षक हो लोगो को पसंद आये नहीं समझ पाती हूँ ….. समझ तो कुछ नहीं पाती हूँ ….. ख़ुशी के भी पल हो तो दिल उदास रहता है ….. लगता हैं मेरे पास इतनी खुशियाँ है ,कहीं दूर किसी कोने में कोई सिसक रही होगी ….
तभी कानों में सिसकियाँ सुनाई देने लगती है …..

नहीं रही
कभी किसी से
कोई शिकवा
ना कोई स्पर्द्धा
केवल ढूंढे
अपनी हिस्से की जमीं
अपने हक का आसमां
बस चाहे साथ सम्मान

जो भी है अपनी जिन्दगी के अनुभव का निचोड़ है ….. मेरी , कभी भी , किसी से भी स्पर्द्धा नहीं रही है लेकिन अब तक की जिदगी में कई बार ऐसा लगा कि दुसरे मुझे अपने स्पर्द्धा में शामिल समझ लेते हैं ….
क्यूँ होता रहा ऐसा समझ से परे रहा ….

बहुत पुरानी बात है ….. बचपन से मेरी पक्की वाली सहेली थी …. एक साथ स्कूल जाना आना ….. शाम में खेलना …. रात तक हम साथ होते ….. होम वर्क एक साथ करते ….. केवल सोने के समय हम अलग होते ….. एक दिन भी ऐसा नहीं गुजरता था जब हम ना मिले हों क्यूँ कि हमारा घर बहुत ही करीब था …… वर्षों तक साथ रहा हमारा ….. हम कभी अलग भी होंगे ऐसा ख्याल भी नहीं आता था मुझे …. लेकिन मेरे पिता जी का तबादला उस शहर से दुसरे शहर में हो गया …. बिछुड़ने की घडी आ गई …. मुझे बहुत दुःख हो रहा था …. रोज कल्पना करती ,कैसे रह पाउंगी ,अपने दोस्त के बिना ….
आने वाले दिन स्कूल में मेरी विदाई पार्टी रखी गई ,घर वाले बोले भी कि मत जाओ लेकिन स्कूल में कुछ देर और अपनी सहेली के साथ मौका मिल जाएगा इस लालच में मैं स्कूल चली गई …. पार्टी जब समाप्त हो गई और मैं घर आने के लिए निकलने लगी तो
मेरी क्लास टीचर मेरा हाथ पकड़ बोली , तुम्हे हम सब बहुत मिस करेंगे ….. जाड़े में बहुत याद आओगी नए नए स्वेटर का डिजाइन तुम से मिलता था ….. तभी मेरी पक्की वाली सहेली तपाक से टीचर से बोली कि मैं हूँ ना ,मैं अपनी माँ से ले आया करुँगी आपके लिए नए नए डिजाइन ……
सब उसे देखने लगे …. मैं तो स्तब्ध रह गई और आज तक स्तब्ध हूँ …

तब ना फोन था और न ये फेसबुक ……
बहुत सारे सवाल मेरे मन में आज भी उमड़ते हैं …..
तब से आज तक किसी को सहेली नहीं बना पाई मैं

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*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

One thought on “दोस्त विहीन मैं

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा संस्मरण !

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