कविता

मेरी पहली कविता

“सुबह उठना और बिस्तरे में ही २० मिनट स्ट्रैचिंग करना ,
नित नेम से फारिग हो कर नीचे आना ,
चाय इंतज़ार में मेज़ पर , कुलवंत के साथ एन्जॉय करना ,
चालीस मिनट तक योग करना , तीस मिनट अनुलोम विलोम ,
फिर मज़े से ब्रेक फास्ट चाय के साथ ,
कुछ अखरोट कुछ कॉर्नफ्लेक्स या दलिया
कुछ गोलिआं जीने के लिए ,
बस यही है दिन की शुरुआत।

अब चेहरे की कसरत , जीभ की कसरत,
ऊंचे-ऊंचे शोर मचाना , हंसना, रोना और मुस्कराना ,
किताब या मैगज़ीन ज़ोर से पढ़ना , हर अक्षर दोहराना ,
फिर गाना , ज़िंदगी इक सफर है सुहाना।

अब रिलैक्स होना आँखें बंद , सोफे में बैठ शांत मन,
सो भी जाना कभी कभी ,
आधा घंटा या घंटा भी कभी कभी ,
फिर उठना , लैप टॉप की ओर जाना।

ई पेपर ध्यान से पढ़ना , नभाटा दैनिक भास्कर और अजीत ,
हिन्दुस्तान टाइम्ज़, टाइम्ज़ ऑफ इंडिया और सहाफत ,
युवा सुघोष , ब्लिट्ज , हिन्द समाचार और जंग डेली ,
जो भी हाथ लगे , वह पढ़ना।

ब्लॉग को पढ़ना ध्यान के साथ , कॉमेंट लिखना ज़ोर लगाके ,
साफ़ दिल से , बेख़ौफ़ हो कर , जो मन चाहे वह ही लिखना ,
कभी छोटा कभी बड़ा , कभी एक लफ़्ज़ कभी २००० लफ़्ज़ में ,
कभी प्रशंसा कभी नुक्ताचीनी , और करारा जवाब।

लिखता हूँ लघु कथाएँ भी कभी कभी ,
RADIO XL के प्रबंधक मांगते जो हैं !
नशर जब होती है मेरी कहानी
जाम कर देते हैं HOTLINE को मेरे प्रशंसक।

विचार देते हैं अपने अपने , कुछ अच्छे कुछ बुरे ,
उत्साहित करते हैं मुझ को , ज़िद करते हैं कुछ और लिखूं ,
इंग्लैण्ड के मसलों पर जो लिखता हूँ ,
और घर-घर की कहानी जो है यहां !!

जी हाँ संगीत भी है मेरी खुराक , सुनता हूँ रोज़ ,
किशोर, मुकेश, रफ़ी , तलत , मन्ना डे और सह्गल भी कभी ,
लता , आशा , गीता दत्त , शमशाद बेगम और बेगम अख्तर भी कभी ,
अल्ला रखा, जाकर हुसैन, रवि शंकर और चौरासिया जी भी कभी।

कभी चैटिंग , कैसे हैं , खा रहे हैं क्या ,
कभी भजिया, ढोकला या समोसे ,
कभी रेसिपी , कोकोनट लड्डू या बेसन बर्फ़ी ,
फिर सोने का समन और शुभ रात्रि कहना।

बस यही है रुटीन , और फिर बेड में जाना ,
कुछ मिनट पढ़ना , पढ़ते-पढ़ते उबासियों का आना ,
बत्ती बंद और सपनों में खो जाना ,
सुबह उठना फिर वह ही दोहराना।”

4 thoughts on “मेरी पहली कविता

  • मनजीत कौर

    बहत सुन्दर कविता भाई साहब, बहुत सुन्दर सरल ढंग से आपने अपनी दिनचर्य और अपने जीवन का वर्णन किया है बहुत बढ़िया !

  • राजीव उपाध्याय

    सुन्दर अभिव्यक्ति भमरा जी

  • सविता मिश्रा

    बहुत बढ़िया …_/_सादर

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह! भाई साहब, आपने तो अपनी दिनचर्या का चित्र खींचकर रख दिया. बढ़िया.

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