कविता

जन्म से मृत्यु तक

मुझे देख कर भी चुप रह जाता हैं दर्पण
अपनी ही हथेली पसारे अंत तक …
उसकी रेखाओं कों निहारते
उलझे रह गए सारे वृक्षों के पर्ण
बहती हुई धारा -प्रवाह चली गयी
किस गंतव्य कों नदी
मैं उसके जल कों
प्रतिमाओं के चरणों पर
करता रह गया अर्पण
पथ चले संग ..खामोश
हर मोड़ रहा ..गुमशुम
घेरे रहें मुझे पर आजीवन …
समस्याओं के ऊँचें ऊँचें पर्वत
जब कोई न मिला मित्र
खुद कों ही किया
दो भागों में मेरे मन ने विभाजित
एक श्रोता ..दूसरा रहा रचनाओं का सर्जक

कहता हैं यह जग ..
मैं हूँ शाश्वत एक प्रश्न
ढूढते रहना तुम उत्तर
मेरे अस्तित्व के औचित्य के लिये
किसी तर्क कों ..
अब तक मिला न कोई समर्थन
लगता हैं मैं ..
चिंतन शील प्रकाश पुंज हूँ केवल
बनाया जिसे चैतन्य किरणों ने हो
कर परावर्तन
जन्म से मृत्यु तक ..
मेरे जीवन के पैर करते रहेंगे क्या ..
बस काल के समानांतर ..नर्तन

किशोर

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

4 thoughts on “जन्म से मृत्यु तक

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    सारी उम्र यों ही बीत जाती है इसी उधेड़ बुन में कि इंसान , किया करना चाहता है , मुसीबतें आती हैं , सुलझ जाती हैं , सारी उम्र वोह भागता रहता है , लेकिन आखिर तक इंसान को समझ नहीं आती , मेरी समझ में तो यही आया , मैं गलत भी हो सकता हूँ .

  • विजय कुमार सिंघल

    कविता अच्छी है, पर उसका भाव समझ में नहीं आया. मेरी समझ में ही कमी हो सकती है. आपकी लेखनी में दम है.

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