कविता

कविता : काला धन

सेठ जी को मंहगाई से
होते देख परेशान
सेठानी बोली
चिन्ता किस बात की हमको
हमारे दोनों बेटे
लाखों में दहेज कमाने को हो गये हैं तैयार
इस पर सेठ जी बिगड़कर बोले-
धीरे बोलो भागवान
वरना काला धन रखने के जुर्म में
हो जाऊंगा गिरफ्तार !

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने ektasarda3333@gmail.com

2 thoughts on “कविता : काला धन

  • विजय कुमार सिंघल

    हा…हा…हा… लालची बेटे वालों पर करारा व्यंग्य !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह सारदा बहन किया कमाल कर दिया चन्द लफ़्ज़ों में .

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