कविता

मुक्तक

ज़िन्दगी से भी मूल्यवान होता है नारी का सतीत्व

पाशविकता का प्रमाण देता जमाना लूटता अस्तित्व

बन बेटी बहू माता रही निभाती पग पग हर कर्तव्य

अफ़सोस पुरुष समझ से परे होता नारी का व्यक्तित्व

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

6 thoughts on “मुक्तक

  • गुंजन अग्रवाल

    dil se dhnywad aa Gurmel Singh ji

  • गुंजन अग्रवाल

    dhnywad Madan Mohan ji

  • गुंजन अग्रवाल

    shukriya Vijay bhai

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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