गीतिका/ग़ज़ल

तेरे रुख़ से……

 

तेरे रुख़ से वो हँसी गायब है
जहाँ के प्रति यकीं गायब है

तुमने जिस पे ऐतबार किया
वो निगहबाँ अभी गायब है

जो तेरी तन्हाई का साथी है
चाँद की वो चाँदनी गायब है

मकसद समझ नही आया
पतवार है कश्ती गायब है

दर्द सहना आता है पर
आँखों से मस्ती गायब है

किशोर
निगहबाँ=रखवाला

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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