लघुकथा

नरक स्वर्ग

रूपा माँ बाप की इकलौती बेटी थी . माँ बाप ने उसे बहुत पियार से पाला पोसा था . बहुत सुन्दर थी वोह और हर वक्त उस का चेहरा ऐसे लगता जैसे मुस्करा रही हो . १८ वर्ष की आयु में उस की शादी नज़दीक के एक गाँव में हो गई . एक वर्ष तो सुसराल में अच्छा रहा लेकिन अचानक उस की सास का वर्ताव सख्त होने लगा , बात बात पर उनको बुरा भला कहती . रूपा विचारी भोली भाली लड़की थी और चुप चाप सब कुछ सहती रहती . धीरे धीरे बुरा विवहार इतना बड़ा कि उस की सास छोटी छोटी बात पर उस को गालिआं देने लगी . उस का पती भी माँ का ही साथ देता . शादी के दस वर्ष बाद भी जब रूपा को कोई बच्चा नहीं हुआ तो सास उसे बाँझ कह कर गालिआं देती और एक दिन तो माँ बेटे ने उस को इतना पीटा कि रूपा से और सहन नहीं हुआ और उस ने पुलिस को टेलीफून कर दिया .पुलिस की मदद से वोह माँ बाप के घर आ गई और तलाक हो गिया .
रूपा बहुत उदास रहने लगी . जब भी वोह माँ को देखती उस का मन रोने को करता . एक दिन वोह अखबार पड़ रही थी कि उस की नज़र एक ऐड पर पडी . लिखा था ” मैं तीस वर्ष का लड़का जिस का दो दफा तलाक हो चुक्का है इंग्लैण्ड में रहता हूँ और मुझे किसी ऐसी लड़की के साथ की जरुरत है जिस ने मेरी तरह दुःख झेलें हों , पूछ ताश के लिए कृपा टेलीफून करें ,” रूपा सारा दिन बार बार इस ऐड को पड़ती रही , फिर शाम को उस ने माँ को बता दिया . रूपा के पिता जी ने लड़के वालों को टेलीफून किया और एक होटल में मुलाक़ात के लिए बंदोबस्त कर लिया गिया . दोनों परिवारों में ढेर सी बातें हुई और फिर रूपा और लड़के में भी बातें हुईं , लड़के का नाम प्रेम था . दोनों ने अपनी अपनी जिंदगी के बारे में बताया और कुछ ही पलों में दोनों को ऐसे मालूम हुआ जैसे वोह एक दुसरे के लिए ही बने हों .
दोनों की शादी हो गई और रूपा प्रेम के साथ इंग्लैण्ड आ गई . प्रेम के माँ बाप रूपा को अपने माँ बाप से भी ज़िआदा अछे लगे . प्रेम का काम बहुत अच्छा था . शाम को काम से आते ही वोह दोनों घूमने चले जाते . प्रेम ने रूपा को इंग्लैण्ड की बहुत सी चीज़ें दिखाई . दिन खुछी खुछी बीत रहे थे एक वर्ष बाद पता चला कि रूपा माँ बनने वाली थी . रूपा बहुत खुछ थी , सास उस का बहुत खियाल रखती . समय होने पर रूपा को निउक्रौस हॉस्पिटल में दाखिल कराया गिया और उसे दो जुड़वाँ बेटे पैदा हुए . शाम को प्रेम फूलों का गुलदस्ता ले कर अपने माता पिता के साथ रूपा और अपने बेटों को देखने आया . सास ने रूपा के माथे पर काला टिक्का लगाया और बहु का माथा चूमा . सभी नन्ने नन्ने बच्चों के साथ खुछ हो रहे थे . रूपा की आँखों में खुछी के आंसू आ गए .उसे लगा जैसे कोई देवता उसे नरक से निकाल कर स्वर्ग में ले आया हो .

4 thoughts on “नरक स्वर्ग

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर लघु कथा.

    • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

      धन्यवाद भाई साहिब .

  • Man Mohan Kumar Arya

    प्रभावशाली, प्रेरणादायक एवं शिक्षाप्रद रचना। पढ़कर लगा कि यह काल्पनिक नहीं, सत्य घटना है। आपको इस सुंदर लेख के लिए हार्दिक बधाई। ईश्वर ने आपको एक करुणायुक्त दिल दिया है। यह बहुत कीमती है। प्रणाम।

    • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

      धन्यवाद मन मोहन जी .

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