मम्मी ऐसा क्यों होता है
(आज की दुनिया में हर कोई बिज़ी है,ऐसे में दादी की गोद में ही सुकून मिलता है
ये कविता संयुक्त परिवार के महत्त्व को भी दर्शाती है)
मम्मी ऐसा क्यों होता है
छोटा बच्चा क्यों रोता है
बोली मम्मी ,वो छोटा है
इसीलिए तो रोता है
मम्मी ऐसा क्यों होता है
सूरज उगता फिर ढलता है
बोली मम्मी यही प्रकृति है
जीवन की यही नियति है
पापा पापा अब तुम बोलो
मेरे संग अब तुम खेलो
बोले पापा फिर कभी
बीटा मैं हूँ बहुत बिज़ी
दीदी दीदी प्यारी दीदी
मुझको एक खिलौना ला दो
बोली दीदी ना करो लड़ाई
मुझको करनी है बहुत पढ़ाई
इतने में फिर दादी आई
बच्चे को लोरी सुनाई
मुन्ना गॉड में सो गया
सुख सपनो में खो गया
— नमिता राकेश
बच्चे अक्सर दादा दादी से ज़िआदा खुश होते हैं, मैंने दादी को देखा ही नहीं इस लिए कभी खियाल ही नहीं आया , मगर दादा जी के साथ बचपन ज़िआदा गुज़ारा है , जिस से मुझे बहुत पियार मिला है , इस लिए उस की याद अब बुढापे में भी आती है .
बहुत अच्छी बाल कविता !