कविता

सुखी कौन ?

आज
संसार मेँ सब दुखी हैं
पंडित दुखी कम दक्षिणा से
नेता दुखी है चुनाव मे हार जाने से
नेता भी दुखी जो जीते पर-
उचित मंत्रालय न मिल पाने से
वह भी दुखी जिसके बेटे-
को खरीदा १६ करोड़ मे
पर विश्व कप मे जगह न मिलने से
माँ बाप दुखी नालायक बेटे-बेटी से
जिसके पास सुख सुविधा के साधन सारे
दुखी नींद न आने और भूख न लगने से
कोई दुखी अपनी बीमारी से
कोई बेरोजगारी से
कोई अपने बॉस से
बॉस अपने कर्मचारी से
कोई मनचाही नौकरी न मिलने से
कोई काम के बढ़ते बोझ से
पत्नी अपने पति की दारू की आदत से
पति पत्नी की रोक टोक से
बच्चे अपने माँ-बाप के झगड़ो से
माँ-बाप अपने बच्चों की करतूतों से
हर गाँव हर शहर मेँ
हर कोई दुखी तो-
सुखी कौन ?
दुनिया मे सिर्फ वो सुखी
जो करे दिनभर मेहनत और मजदूरी
भोग-विलास और माया से रक्खे दूरी
अपनी जरूरते रखे कम से कम
इज्जत और ईमानदारी से –
दो वक़्त की कमाये रोटी हरदम,
जो न डगमगाए सच्चाई के रास्ते से कभी
दूसरों की भलाई को समझे-
अपना धर्म और ज़िम्मेदारी
लगा दे जान की बाजी
देश की आबरू के लिए खुशी-खुशी
जो धरती पे चादर डाल फटी-मैली,
लेकर प्रभु का नाम,
सोये चैन की नींद खुले आसमान के नीचे,
मेरे ख्याल मे वो सुखी
बाकी सब दुखी–अरविन्द कुमार

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

One thought on “सुखी कौन ?

  • विजय कुमार सिंघल

    नानक दुखिया सब संसार !
    और भी गम हैं जमाने में मुहब्बत के सिवा !!

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