कविता
चार छंदों में विचार कविता
नए युग का नवद्वार कविता
प्राण प्राण बहती है
हर मन ये कहती है
शब्द स्वर तो शब्दों की झंकार कविता
प्रियतम की बात हो
या विरह भरी रात हो
भूखी आँतों की आवाज
रोते हृदयों का साज
किसी पंछी की चहक
कभी बागों की महक
कभी सागर की लहर
या मन का हो जहर
सबके ही सहज वर्णन का विस्तार कविता
सत्य से परे नहीं
झूठ इसे हरे नहीं
जैसे लाजवंती के लाल फूल
या सड़कों की उडती धूल
नभ के उड़ते चाहे बादल
या अश्रु संग बहता सा काजल
कभी धूप जिसका रूप
जिसकी छाँव भी अनूप
ऐसे अव्यय प्रत्यय का उठती भार कविता
चार छंदों में विचार कविता
नए युग का नवद्वार कविता
___सौरभ कुमार दुबे
धन्यवाद सर
बहुत अच्छी लगी.