कविता

जीवनदायिनी…..क्षणिका

ले नदी सी गहराई
अच्छा या बुरा जो मिले
सब आजीवन ढ़ोती
बनकर जीवन दायिनी
हर रिश्ते को सींचती
खुद को पूर्णत: भुलाकर
सबके हितार्थ सोचती !!

प्रवीन मलिक

PhotoGrid_1425730491732

प्रवीन मलिक

मैं कोई व्यवसायिक लेखिका नहीं हूँ .. बस लिखना अच्छा लगता है ! इसीलिए जो भी दिल में विचार आता है बस लिख लेती हूँ .....

2 thoughts on “जीवनदायिनी…..क्षणिका

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

Comments are closed.