खाली बोतल
शाम के गहराते साए ने
कितना खामोश कर दिया है आसमान को
मानों छीन ली हो सारी रौनक
वहाँ दूर सागर में
डूब रही है आज की आस
जो सुबह चमकी थी तुम्हारी राहें देखने
पी लिया मैंने फिर से
पूरा का पूरा एक दरिया घूँट-घूँटकर
देखो, यही बताके
कब से उदास पड़ी ये खाली बोतल…..
बढ़िया !