गीत/नवगीत

जीने की तैयारी कर…!!

बेमतलब की यारी कर,
जीने की तैयारी कर,
क्यूं बैठा है मौत की राह…
फिर जीवन की पारी कर !
मैं तो पहले तेरा था,
और तू भी पहले मेरा था,
कैसे रूठा फिर मुझसे तू…
बातें मुझसे जारी कर !
समय कभी ना रुकता है,
पर्वत भी ना झुकता है,
दुनियादारी के उसूल है…
थोड़ी तू भी होशियारी कर !
ना लकीर है पंछी की,
ना लकीर अंबर की है,
फिर क्यों लकीर ये ‘प्रजापति’..
इस विशाल धरती की है,
भेद मिटा दें इस लकीर का….
ऐसे ना लाचारी कर !
पगले तू क्या सोच रहा?
भ्रष्टाचारी नोच रहा..!
मिटा भ्रष्टता का अँधियारा..
तू भी दुनियादारी कर !!
‘प्रजापति’ आह्वान करें,
ग़र तू थोड़ा दान करें,
मिटा गरीबी मानवता का,
केवल तू उत्थान करें,
एक अकेला बदले दुनिया….
काम कठिन और भारी कर !
बेमतलब की यारी कर…
जीने की तैयारी कर….

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!

4 thoughts on “जीने की तैयारी कर…!!

  • जवाहर लाल सिंह

    सुन्दर अभिव्यक्ति!

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद भाईसाहब…!

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बढ़िया गीत !!

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      बहुत आभार बड़े भाई…! आपका स्नेह…

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