कविता

प्रार्थना

कहीं एक मासूम सा अरमान टूटा होगा
फिर मिट्टी का कच्चा मकान टूटा होगा
अमीरों के लिए बेशक खबर हो जलजला
गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा ||
प्रभु से अपने लिए कुछ न माँग कर उन सभी के लिए प्रार्थना
जिनके सर से क्षणों में छत और अपने दूर हो गये ||
आर एम मित्तल

आर एम मित्तल

रिटायर्ड चीफ मैनेजर पीएनबी समाजसेवी कार्यकर्ता मोहाली Email ravindermittal@hotmail.com Mobile: 09815608514

One thought on “प्रार्थना

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर मुक्तक !

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