कविता

जबसे तेरे मेरे दरम्यां…..

 

जबसे तेरे मेरे दरम्यां और फ़ासिला बढ़ गया
तबसे तुझसे मिलने के लिए हौसला बढ़ गया

मेरे लिये तेरे बगैर जीना अब आसान नहीं है
रहे तन्हाई में मेरे दर्द का काफिला बढ़ गया

जुदा न कर पायेगा सारा जहां तुझे मुझसे
मन में प्यार का अटूट सिलसिला बढ़ गया

एक चिंगारी सी उड़ी जब आँखें टकरायी
शोलों की लपटों से घिरा हूँ मामला बढ़ गया

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “जबसे तेरे मेरे दरम्यां…..

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह !

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