जबसे तेरे मेरे दरम्यां…..
जबसे तेरे मेरे दरम्यां और फ़ासिला बढ़ गया
तबसे तुझसे मिलने के लिए हौसला बढ़ गया
मेरे लिये तेरे बगैर जीना अब आसान नहीं है
रहे तन्हाई में मेरे दर्द का काफिला बढ़ गया
जुदा न कर पायेगा सारा जहां तुझे मुझसे
मन में प्यार का अटूट सिलसिला बढ़ गया
एक चिंगारी सी उड़ी जब आँखें टकरायी
शोलों की लपटों से घिरा हूँ मामला बढ़ गया
किशोर कुमार खोरेन्द्र
वाह !