कविता

प्यार इसे ही तो कहते हैं….

तुमने मुझे देखा

जैसे देखा ही न हो

तुम्हारी आँखों में मेरी परछाई थी

तुमने मुझे सुना

जैसे सुना ही न हो

तुम्हारे कानों में मेरी आवाज गूंज रही थी

तुम मुझसे मिले

जैसे मिले ही न हो

मैं सरापा तुम्हारे मन में था

तुमने मुझे याद किया

जैसे याद किया ही न हो

तुम्हारी हर धड़कन मेरा नाम पुकार रही थी

तुमने मुझे चाहा

जैसे चाहा ही न हो

फूलों को ,पत्तों को ,

तितलियों को पर यह मालूम था

प्यार इसे ही तो कहते हैं

हम तो तेरे दीवाने है

सब सहते रहते हैं

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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