तुमसे मेरी….
तुमसे मेरी जब कभी बात होगी
अमावश तब चांदनी रात होगी
मुझे अपने दिल में बसा लिए हो
न जाने तुमसे कब मुलाक़ात होगी
खिजाँ और बहार तो आते ही रहेगें
भींगी घटाओं से कब बरसात होगी
ख्वाहिशे वस्ल लिए जन्म लूंगा
जब तक ये सारी कायनात होगी
मिलते ही बिछड़ गए हम तुम
याद रहूँ यह बड़ी करामात होगी
किशोर कुमार खोरेन्द्र
बढ़िया ग़ज़ल !
thank u vijay kumar singhal ji