कविता सांप सूघ गये हलक सूख गये मनोज 'मौन' 23/05/2015 हलक सूख गये सांप सूघ गये जीवन बगिया हरि हर गये गेहूं खडे आग झुलस गये हलक सूख गये सांप सूघ गये राह विरानी आंख निहारे आधी दुनियां खाख हो गयी सांप सूघ गये हलक सूख गये….
पर्यावरण की त्रासदी को व्यक्त करती छोटी किन्तु महत्वपूर्ण कविता !