कविता

सरंक्षण

सूखा ,चक्रवाती तूफ़ान ,बाढ़ ,
सूनामी ,भूकम्प ,भूस्खलन
ये हैं
प्राकृतिक आपदा के उदाहरण
परन्तु भूकम्प के बार बार आने का
कुछ तो होगा कारण
जल ,वायु ,मिटटी
अशुद्ध हो चुके हैं
नदियाँ सूख रही हैं
भूमि के भीतर का
जलस्तर घट रहा है
जंगल कट रहे हैं
ग्लोबलवार्मिंग की वज़ह से
ओजोनपरत तेजी से छीज रहा है
आसान नहीं रहा
इन आपदाओं का अब प्रबंधन
प्रकृति की उपेक्षा कर
लोभवश हम कर रहे हैं शहरीकरण
वृक्षों के आभाव में जीने का अर्थ है
बनाना दूषित वातावरण
धरती उतनी ही बड़ी रहेगी जितनी की आरम्भ से है
पर मनुष्य की जनसख्यां की तरह
पृथ्वी के सीने में
बढ़ रहा है उत्खनन
प्रकृति हमारा हिस्सा नहीं
हम प्रकृति के हिस्से हैं
उपवन को ,वन को ,नदियों को देना ही होगा
हमें सरंक्षण

kishor kumar khorendra

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “सरंक्षण

  • विजय कुमार सिंघल

    पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करती हुई बेहतर कविता.

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