बाल कहानी

बाल कहानी – शंख का कमाल

रामधन बहुत गरीब लेकिन अच्छे स्वभाव का व्यक्ति था | उसने एक साधु की खूब सेवा की | साधु ने उसकी सहायता के लिए उसे एक शंख दिया | कहा कि इसको रोज पूजा के समय बजाने से तुम्हें एक सोने का सिक्का मिलेगा |  रामधन खुश होकर घर आ गया | रोज सोने का एक सिक्का मिलने से उसकी गरीबी दूर होने लगी | लेकिन पड़ोस मे रहने वाले एक दुष्ट व्यक्ति को रामधन का सुखी होना अच्छा नहीं लगा | उसने छुप कर जान लिया कि एक शंख उसे रोज सोने का सिक्का देता है | एक रात उस  दुष्ट व्यक्ति ने रामधन का शंख चुरा लिया  और उसकी जगह वैसा ही नकली शंख रख दिया |

अगले दिन रामधन को शंख से सिक्का नहीं मिला तो वह बहुत परेशान हुआ | उसने वापस साधु के पास जाकर समस्या बताई | साधु ने शंख को देखकर बताया कि यह असली नहीं है | जरूर किसी ने पुराना शंख गायब कर दिया है | रामधन ने साधु से शंका जाहिर किया कि उसका एक दुष्ट पड़ोसी ऐसा कर सकता है | साधु ने कुछ सोचा और रामधन को दूसरा शंख देते हुए एक तरकीब बताई |

रामधन घर लौट आया और पड़ोसी के दिखने का इंतजार करने लगा | कुछ देर मे जब वह दुष्ट पड़ोसी घर के पास से गुजरा तो  रामधन ने शंख बजा दिया | शंख से आवाज निकली कि बोलो कितने सिक्के दूँ | दस बीस , सौ दो सौ , हज़ार लाख | रामधन ने पड़ोसी को सुनाते हुए कहा – “ शंख जी ! अभी रहने दो | घर मे ज्यादा धन रखने से चोरी का खतरा हो जाता है | मुझे जब जरूरत पड़ेगी तो मांग लूँगा |”  पड़ोसी चौंककर खड़ा हो गया | सोचने लगा , यह तो पहले वाले शंख से ज्यादा अच्छा है | वह तो एक ही सिक्का देता है पर यह तो लाखों दे सकता है |

उस रात दुष्ट पड़ोसी ने रामधन का दूसरा शंख चुरा लिया और पहले वाला शंख वही रख आया | रामधन ने आज छुपकर यह सब देख लिया था | यही तो साधु की योजना थी | अगली सुबह रामधन को पुराने शंख ने फिर एक सोने का सिक्का दिया तो वह खुश हो गया | इस बार उसने शंख को अच्छी तरह सुरक्षा मे रख दिया ताकि दोबारा चोरी न हो सके | उधर दुष्ट पड़ोसी यह सोचकर खूब खर्च करने लगा कि जब जरूरत पड़ेगी तो शंख से लाखों रुपए मिल जायेंगे |

बेवजह अधिक खर्च करने से वह बहुत कर्जदार हो गया | जब कर्ज चुकाने के लिए उसे रुपयों की बहुत जरूरत पड़ी , तब उसने एक दिन शंख बजाया | आवाज आने लगी – “ बोलो कितना दूँ दस बीस  , सौ दो सौ , हजार , लाख | ” दुष्ट व्यक्ति बोला – “ लाओ , एक लाख सिक्के दे दो |” इस पर शंख से हंसने की आवाज आयी – दुष्ट व्यक्ति ! मैं तो सिर्फ इसी तरह की बकबक करने वाला शंख हूँ | कुछ देता नहीं | पहले वाला एक सोने का सिक्का रोज देता था | उसे तो तुमने अधिक लालच मे बदल लिया है | अब खुद भुगतो |” दुष्ट व्यक्ति ने अपना सिर पीट लिया | कर्ज चुकाने मे वह घर और खेत बेच कर भिखारी हो गया |

अरविन्द कुमार साहू

सह-संपादक, जय विजय

One thought on “बाल कहानी – शंख का कमाल

  • गुंजन अग्रवाल

    umda prernaprad khaani

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