क्षणिकायें
1-वार्तालाप
तुम ही मेरा सुर हो
तुम ही हो मेरा आलाप
मन ही मन तुमसे
करता रहता हूँ
मैं निरंतर वार्तालाप
२- स्मृति
मेरे मन के भीतर
बहती है
स्मृति की एक अंतहीन नदी
जिसके जल दर्पण में
उभर आयी है
तुम्हारी सुन्दर छवि
३-परवाह
नदी पर्वत हो या राह
नदी पर्वत हो या राह
सभी करते हैं
मेरी तरह तेरी परवाह
४-कथा
मेरी व्यथा
बन गयी एक अमर कथा
५-दर्द
दर्द बहुत है सीने में
तुमसे बिछड़ कर
मज़ा नहीं आ रहा जीने में
६-उल्फत
रहे उल्फत में आता है
एक न एक दिन वह मोड़
अलग अलग हो जाते है रास्ते
चल पड़ते है फिर हम
विपरीत दिशा की ओर
७-खत
आज भी तुम्हारा
नहीं आया खत
नहीं आया खत
कह रहा दरवाज़ा
इंतज़ार करना
छोड़ना मत
८-वीरान
तुमसे कुछ कह पाना
अब आसान कहाँ है
तुम बिन लगता
वीरान यह जहां है
९-अक्फर
अक्फर हूँ तो क्या हुआ
अकीब रहा हूँ
मैं तेरा अक्सर
अक्फर =बड़ा नास्तिक ,अकीब =अनुगामी
१०-शुक्रिया
बरकरार ए हौसला अफजाई
के लिए शुक्रिया
तुमने तो मुझे
अपना दिल दे दिया
११-चितवन
तेरी मस्त निगाहों के हैं हम कायल
तेरी चितवन ने किया है हमें घायल
१२- असर
तेरे सिवा मुझे
कुछ आता नहीं नज़र
कुछ आता नहीं नज़र
मोहब्बत का आँखों पर
इतना ज्यादा होता है असर
इतना ज्यादा होता है असर
किशोर कुमार खोरेन्द्र
बेहतरीन क्षणिकाएं !