बाल कविता : फलों का राजा आम
फलों का राजा आया आम ,
खट्टे मीठे प्यारे आम
कच्चे होते खट्टे आम
दाल मे डालो कच्चे आम
.भून के खाओ कच्चे आम
पके खाओ तुम मीठे आम
काट -बाँट कर खाओ आम
उपवन मे गुच्छो मे आम
गर्मी मे तरोताजा करता
प्यारा-प्यारा मीठा आम ,
चटनी और आचार बनाओ
नित दिन खाओ न्यारे आम
दिल को खुश करता हैआम
जन-जन को मन भाता आम
छोटे -बड़े मिलत हैं आम
भाँति-भाँति स्वादिष्ट हैं आम
रस अरूस्वाद निराला आम
जन- जन का है प्यारा आम
बच्चे इसे प्रेम से खाते
मम्मी पापा भी हरसाते…
राजकिशोर मिश्र [राज]
आम को आप ने बहुत महानता दी है , और है भी यह सच . आप ने हमारे खेतों में दो आम के ब्रिक्षों की याद ताज़ा करा दी . कविता है तो एक बाल कविता लेकिन मुझे बहुत अच्छी लगी .
आदरणीय भाई साहब बच्चा जन्म लेता है तब माँ का नाम लेता है आ म का संबोधन और उसकी गुणवत्ता कोई दूर नही रह सकता बच्चो को सर्वाधिक प्रिय है फलो का राजा आम ,,,, हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार