कवितापद्य साहित्य बारिश की बूंद सूखने से पहले मनोज 'मौन' 11/06/201511/06/2015 भाईयों ये बादल का नजारा कितना सुखद होता अगर, साथ इनके समां-ए-बारिश मौन सब दिलों को सूकूं देता। मै डरता हूँ धरती तेरे सूख जाने से ऐ छुपे मेघ गगन पे छा जा तू, बारिश की बूंद सूखने से पहले जमकर धरा पे बरस जा तू
वाह वाह !
बहुत खूब .
धन्यवाद भमरा जी