कविता

आँसुओ को बह जाने दो

आँसुओ को आँखों से छलक जाने दो |
ना छुपाओ आँखों मे उन्हें बह जाने दो |
रह गए जो अन्दर तो सिसकते रहेंगे |
यूंही आँखों को बोझिल यह करते रहेंगे |
आज ज़िन्दगी को नया रूप ले लेने दो |
गम से अपना नाता अब तुम टूट जाने दो |
जो धुआँ उठ रहा है खत्म हुए ज़ज्बातो से उसे थम जाने दो |
वक्त ने रख दिया है मरहम अब ना कुरेदो ज़ख्मों को उन्हें भर जाने दो |||

कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

2 thoughts on “आँसुओ को बह जाने दो

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

    • कामनी गुप्ता

      Thanks sirji

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