गीतिका/ग़ज़ल

खुद को में, खुद से मिलाना चाहता हूं…

खुद को में, खुद से मिलाना चाहता हूं।
जिन्दगीं, तेरा साथ पाना चाहता हूं॥

ढूंढ कर खुशियों के ये दो चार पल
खुद को खुशकिस्मत बनाना चाहता हूं….
जिन्दगीं, तेरा साथ पाना चाहता हूं….

हौसलों के पंख दे कर हसरतों को
आसमां को छू के आना चाहता हूं…..
जिन्दगीं, तेरा साथ पाना चाहता हूं….

पत्थरों पर चलके जो छाले पडें है
वो सभी तुझको दिखाना चाहता हूं….
जिन्दगीं, तेरा साथ पाना चाहता हूं….

तुझसे जो वादे किये थे, चाहतों के
वो सभी वादे निभाना चाहता हूं….
जिन्दगीं, तेरा साथ पाना चाहता हूं….

जिन्दगी भर, तु मनाने को मुझे रोती रही
आज मे तुझको मनाना चाहता हूं……
जिन्दगीं, तेरा साथ पाना चाहता हूं….

खुद को में, खुद से मिलाना चाहता हूं।
जिन्दगीं, तेरा साथ पाना चाहता हूं…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.