गीत/नवगीत

तेरे हाथों मे है सांवरे….

तेरे हाथों मे है सांवरे, मेरे जीवन की नैया।
तार दो तार दो सांवरे पार, बनके खिवैया॥

हर तरफ गरदिशों के है घेरे, घिर गया हूं घनी मुश्किलों में।
हो भंवर बीच सागर में जैसे, आग जैसे लगी साहिलों में॥
संकटों से उबारो हमें, चैन बंसी बजैया….
तार दो तार दो सांवरे पार, बनके खिवैया..

कोई सुनता नही मेरे मोहन, एक तुम ही सहारा हो मेरा।
तुमने हर भक्त को है उबारा, जिसने जब भी लिया नाम तेरा॥
मेरी करुणा भी सुन लो बिहारी, हे जगत चलैया….
तार दो तार दो सांवरे पार, बनके खिवैया…

छोड दी है भरोसे तुम्हारे, अपने जीवन की नैया हे! गिरधर।
अब डुबा दो हमें या कि तारो, है रजा आपकी नाथ नटवर॥
तेरे चरणों में है शीष मेरा, हे धर्म के रखैया…
तार दो तार दो सांवरे पार, बनके खिवैया…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.