उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-19: मोबाइल नमबर

समीर अपने घर आ गया और नहाने के बाद पढ़ने बैठ गया।फिर उसकी माँ ने खाना खाने के लिये आवाज लगायी तो वह खाना खाने चले गया वैसे तो सब लोग अपने कामों में बिजी रहते हैं पर रात का खाना सब लोग एक साथ ही खाते हैं।समीर ने अपनी प्लेट सीधी की उसकी मां ने उसे खाना दिया और सब लोग खाना खाने लगे तभी समीर के पापा बोले समीर तुम्हारी पढ़ाई तो ठीक चल रही है न समीर बोला हां पापा बिल्कुल ठीक चल रही है तो उसके पापा बोले तुम्हें यहां आना पसंद नही था न इसलिए पूछ रहा हूं अगर कोई दिक्कत आती है तो मुझे बता देना और मैं काम से मुंबई जा रहा हूँ मेरी कल सुबह जल्दी निकलना होगा और तुम्हारी मम्मी की तबियत थोड़ी ठीक नही है तो तुम कल कालेज मत जाना घर ही रहना और हां कल रीता की छुट्टी है तो उसे मम्मी को परेशान मत करने देना. समीर बोला- ओके पापा।

समीर अपनी बहन को बहुत प्यार करता था जब भी रीता को उसकी मम्मी या पापा डाटते है तो वह समीर के पास आकर चुपचाप बैठ जाती है तो फिर समीर ही उसे मनाता है।

सुबह के टाइम इधर स्नेहा आॅफिस के लिये आज घर से भी लेट हो गयी थी आज स्नेहा का बथॆडे है आज उसके पापा पहले से ही आॅफिस में थे वैसे तो वह आफिस कभी-कभी ही आते हैं क्योंकि उनकी उम्र ज्यादा हो गयी है इसलिए आॅफिस स्नेहा ही संभालती है स्नेहा कंपनी में पहुॅचते ही अपने कैविन में गयी और सारी फाईलस चैक कर हस्ताक्षर कर दिये तभी स्नेहा की असिस्टेंड जिसका नाम रूपाली है जो स्नेहा की दोस्त भी है आयी और गिफ्ट देते हुये बोली हैपी बथॆडे मैम तब स्नेहा बोली थैंक्स यार और तुम मुझे मैम या मैडम मत कहा करो तुम मेरी कालेज की दोस्त हो यार तुम मुझे स्नेहा कहा करो तब रूपाली बोली ओके मैम मेरा मतलब स्नेहा तब स्नेहा हंसने लगी और रूपाली चली गयी।

फिर स्नेहा ने जरूरी मेल्स चैक की सब काम खत्म करने के बाद उसने चैटिंग सैसन आन किया तभी समीर का मैसज आया हैपी बथॆडे स्नेहा तब स्नेहा बोली थैंक्स पर यार तुम्हें कैसे पता कि आज मेरा बथॆडे है। समीर बोला आपका दोस्त हूं तो इतना तो पता ही होगा फिलहाल कुछ दिन पहले तुमने अपनी डेट आॅफ बथॆ बतायी थी तब स्नेहा बोली अरे हां मैं तो भूल ही गयी थी।

समीर ने कहा बताओ स्नेहा तुम्हें क्या गिफ्ट चाहिए तब स्नेहा बोली अगर बुरा न मानो तो मुझे अपना मोबाइल नम्बर ओर एक फोटो दे दो फिर समीर बोला अच्छा किस गुंडे को देनी है मेरी तस्वीर तो स्नेह आ ने कहा फिलहाल तो किसी को नहीं बस मैं ही तुम्हें परेशान करूँगी समीर बोला हां तुम भी तो किसी गुंडे से कम नहीं हो और हंसने लगा फिर स्नेहा बोली तुम बहुत मजाक करते हो फिर समीर ने अपनी एक पिंक्चर और नम्बर सैंड कर दिया स्नेहा ने थैंक्स बोला और कम्प्यूटर आॅफ कर दिया।

दयाल कुशवाह

पता-ज्ञानखेडा, टनकपुर- 262309 जिला-चंपावन, राज्य-उत्तराखंड संपर्क-9084824513 ईमेल आईडी-dndyl.kushwaha@gmail.com

One thought on “अधूरी कहानी: अध्याय-19: मोबाइल नमबर

  • विजय कुमार सिंघल

    रोचक !

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