उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-23: रेनुका कहाँ गयी ?

समीर के एग्ज़ाम शुरू हो गये थे समीर और रेनुका रोज कालेज में मिलते थे वे एक-दूसरे को बहुत चाहने लगे थे।समीर और रेनुका हर पेपर के बाद एक-दूसरे से पेपर के बारे में पूछते तथा समय निकालकर घूमते और साथ ही पढ़ते भी थे पर उनका पढ़ाई में कहा मन लगने वाला था वो तो वस एक-दूसरे में ही खोये रहते थे पर समीर हमेशा पढ़ने पर जोर डालता था।

आज एग्ज़ाम खत्म हो गये थे समीर और समीर के दोस्त सब साथ बैठकर बातें कर रहे थे तभी रेनुका आ गयी समीर रेनुका को देखकर दोस्तों के पास से उठकर रेनुका के पास आ गया क्योंकि आज रेनुका समीर को कुछ बताने वाली थी।

समीर ने रेनुका से पूछा क्या बात है तब रेनुका बोली समीर यार हमारे एग्ज़ाम खत्म हो गये है रिजल्ट भी आने वाला है और रिजल्ट आने के बाद मेरे पापा मुझे अपने साथ दिल्ली ले जायेगें और फिर मुझे वहीं रहना होगा पर मैं तुम्हारे बिना नहीं जा सकती समीर मैं नहीं रह पाऊंगी तुम्हारे बगैर मैं खुद से भी ज्यादा तुमसे प्यार करती हूॅ पर घर वालों को ये बात बता नहीं सकती समीर कुछ करो यार तब समीर बोला हम शादी कर लेते है रेनुका बोली हमारे घर वाले नहीं मानेगे समीर बोला मैं अपने घर वालों को मना लूंगा तब रेनुका बोली मेरी मम्मी भले ही मान जाये पर मेरे पापा कभी भी नहीं मानेगे समीर बोला रेनुका तुम एक बार अपने पापा से बात तो कर सकती हो तब रेनुका बोली तुम कहते हो तो मैं एक बार कोशिश तो जरूर करूँगी फिर रेनुका समीर के गले लग गयी और दोनों वहा से चले गये।

आज रिजल्ट आने वाला था पर समीर बहुत परेशान था क्योंकि दो दिन से रेनुका का नम्वर बंद आ रहा था समीर रिजल्ट देखने गया इस बार भी समीर के अच्छे अंक आये थे समीर अपना रिजल्ट लेकर रेनुका के रूम की तरफ गया पर उसके रूम में ताला लगा था पूछने पर पता चला कि उसके पापा यहां आये थे और उसे हमेशा के लिये यहां से ले गये ये सुनकर समीर के पैरों तले जमीन खिसक गयी समीर बिलकुल टूट सा गया।

न रेनुका ने समीर को कुछ बताया न फोन किया और बिना कुछ कहे कैसे जा सकती है समीर का बुरा हाल हो गया था पागल सा हो गया था समीर के घर वालों तथा दोस्तों ने उसे बहुत समझाया तब जाके समीर कुछ दिनों में ठीक हो गया था पर उसे अभी भी रेनुका की याद सताती थी।

एक दिन सुबह समीर के घर की डोरवेल बजी समीर ने दरवाजा खोला तो बाहर एक पोस्टमैन खड़ा था उसके हाथ में समीर के नाम की चिट्ठी थी समीर ने उससे चिट्ठी ली पर उसपर भेजने वाले का पता नहीं था समीर ने चिट्ठी खोली चिट्ठी रेनुका की थी समीर पढ़ने लगा चिट्ठी में लिखा था-डियर समीर पापा ने मेरी शादी कही और तय कर दी है और पन्द्रह दिन बाद हमारी शादी है मैं तुमसे मिलना चाहती हू पर क्या करू पापा की जिद के आगे हम कुछ नहीं है प्लीज समीर मुझे माफ कर देना और हमेशा के लिये भूल जाना मुझे चिट्ठी पढ़कर एक बार फिर समीर का दिल दहल गया।

दयाल कुशवाह

पता-ज्ञानखेडा, टनकपुर- 262309 जिला-चंपावन, राज्य-उत्तराखंड संपर्क-9084824513 ईमेल आईडी-dndyl.kushwaha@gmail.com

One thought on “अधूरी कहानी: अध्याय-23: रेनुका कहाँ गयी ?

  • विजय कुमार सिंघल

    रोचक उपन्यास

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