कविता

नवभारत निर्माण

देश की खंडता को एकता में बदलेंगे,
सबको
देशभक्ति का जाम पिलायेंगे,
हिंदु और मुस्लिम को भाई बनायेंगे,
गीता कुरान हम सबको सिखायेंगे,
दुनिया का ताज होगा ये वतन।
ऐसा नवभारत बनायेंगे हम।।
देश का अब हर बच्चा पढ़ेगा,
हर व्यक्ति को रोजगार मिलेगा,
सब कोई अपना अधिकार जानेगा,
कर्तव्य के साथ सब जिना सिखेगा,
सहेगा न कोई जुल्मोसितम।
ऐसा नवभारत बनायेंगे हम।।
हर घर का हम अंधेरा मिटायेंगे,
सभी ओर ज्ञान का दीपक जलायेंगे,
हर भटके को हम राह दिखायेंगे,
कदम-कदम पर साथ निभायेंगे,
बाँट लेंगे मिलकर हम खुशी और गम।
ऐसा नवभारत बनायेंगे हम।।
भारत दुनिया की बड़ी शक्ति होगी,
जय जवान-जय किसान नारा लगेगी,
भारत के कदमों पर दुनिया चलेगी,
मस्तक पर दुनिया की ताज शोभेगी,
तारे तोड़ लायेंगे यहाँ के ललन।
ऐसा नवभारत बनायेंगे हम।।
-दीपिका कुमारी दीप्ति (पटना)

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।