गीत/नवगीत

आ तुझे पलना झुलाऊं…

आ तुझे पलना झुलाऊं लाडले
तुझको सीने से लगाऊं लाडले।
मेरे बिन तुझको नही आयेगी नींद
आ तुझे लोरी सुनाऊं लाडले॥

चांद को बोलूं खिलौना दे तुझे
चांदनी अपनी बिछौना दे तुझे।
परियों से कह दूं उठाकर गोद में
खुशियों का सपना सलौना दे तुझे॥
नींद पलकों पर सजाऊं लाडले…..
आ तुझे लोरी सुनाऊं लाडले….

बादलों की मैं चुनरिया ओढकर
टिमटिमाते तारे सारे तोडकर
तेरे सपनों का सजा दूं मैं जहां
निदिंयां रानी आये सबको छोडकर॥
जुगनुं की चादर उढाऊं लाडले……
आ तुझे लोरी सुनाऊं लाडले…..

देखो लेकर तितलियों के रंग सारे
आ रही है निन्दियां बांहों को पसारे।
झुक गयी पलकें हुई बोझल जरा सी
नींद की परियां चली आंखों के द्वारे॥
चूम कर माथा सुलाऊं लाडले…….
आ तुझे लोरी सुनाऊं लाडले…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.