गीतिका/ग़ज़ल

खुदगर्ज दुनियां में….

खुदगर्ज दुनियां में, उसुलों की बात ना कर।
खिजा के वक्त में, मुस्काते गुलों की बात ना कर॥

प्रतिभाओं के शहर में, दिल की कौन सुनता है।
पत्थरों के बगीचों मे, फूलों की बात ना कर॥

दौलत के बाजार में, तेरी नेकी का वजूद नहीं है।
उनसे टकराकर, खुद से घात ना कर॥

उनकी रंगीनिया मत देख, तुझे रोटी कमानी है।
उनके उजालों में, काली अपनी रात ना कर॥

ये शौहरत ये रूतबे, यूं ही हासिल नही होते।
तूं इंसान है, इंसान ही रह, शैतानी खुराफात ना कर॥

तेरे हिस्से की हवा मिल जाये, तो काफी समझ।
अतिक्रमण का दौर है, सिद्धांत मूलों की बात ना कर॥

खुदगर्ज दुनियां में, उसुलों की बात ना कर।
खिजा के वक्त में, मुस्काते गुलों की बात ना कर॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “खुदगर्ज दुनियां में….

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    अति सुंदर रचना

    • सतीश बंसल

      आभार विभा जी..

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