कविता “दोहा” *महातम मिश्र 10/10/2015 अलख जगाऊँ मै सदा, सदाचार उपकार बिमुख न होये मानवा, हिय माहि संस्कार ।। सद्भावना बनी रहें, आपस में चित चाह प्रेम पवित्र रहे सदा, मनवा पनपे राह ।। महातम मिश्र