उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-35: सरप्राइज

स्नेहा ने गाड़ी निकाली समीर गाड़ी में बैठ गया। गाड़ी कुछ ही देर में अपनी पूरी गति से दौड़ने लगी। करीब आधे घंटे बाद वो दोनों फाॅर्म हाऊस पहुँच गये। स्नेहा बोली- समीर तुम अंदर चलो, मैं गाड़ी पार्क करके आती हूँ। समीर गाड़ी से उतरा और अन्दर जाने लगा। अन्दर बिल्कुल अंधेरा था। तब समीर बोला- स्नेहा यहाँ तो कोई भी नहीं है। स्नेहा बोली – अन्दर जाओ समीर तुम्हारे लिये सरप्राइज है। अचानक समीर किसी चीज से टकराया। तभी सारी लाइटस आॅन हो गयी।

समीर ने सामने देखा तो जिस चीज से वह टकराया था वह एक टेबल और उस पर केक रखा था और केक में हैप्पी बर्थ डे समीर लिखा था। तब तक स्नेहा भी वहां आ गयी थी और बोली- समीर यही है तुम्हारा सरप्राइज हैप्पी बर्थ डे समीर! समीर ने स्नेहा को गले लगा लिया तभी चारों-तरफ से तालियाँ बजने लगी समीर ने देखा तो बहुत से लोग जिन्हें स्नेहा ने बुलाया था आ गये। समीर तो ये देखकर दंग रह गया।

फिर समीर ने केक काटा फिर सब लोगों ने समीर को बधाईयाॅ दी फिर स्नेहा बोली समीर तुम्हारे लिये एक और सरप्राइज है। स्नेहा ने अपनी बात पूरी ही की थी तभी स्नेहा के अंकल जो कमिशनर है और उनके साथ सूरज समीर का कालेज दोस्त आ गये, तब स्नेहा बोली- दूसरा सरप्राइज तुम्हारा अंकल के पास है। तभी कमिशनर ने समीर को एक लेटर दिया समीर ने वह लेटर खोलकर पढ़ा तो मानो समीर की खुशियों का कोई ठिकाना न रह गया हो।

समीर खुशी से उछल पड़ा और बोला मैं सी बी आई आॅफिसर बन गया तब कमिशनर बोले हाँ समीर तुमने अप्लाई किया था तुम्हारा आवेदन मंजूर कर लिया गया है और तुमने जो एंथोनी के केस में मदद की उसकी खबरे पेपर में छपने के कारण तुम फेमस हो गये और केंद्र सरकार ने तुम्हें चुना है और तुम्हारे साथ सूरज काम करेगा समीर।

बहुत खुश था और सूरज को वो आज यहाँ पाकर समीर ने ड्रिंक कुछ ज्यादा ही ले ली और पार्टी में डांस करते-करते गिर गया ।

दयाल कुशवाह

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