कविता

राम राज्य लौटा दो

हे राम हमें वो रामराज्य लौटा दो
अहंकार को हमसे दूर भगा दो
सब सुखी और सब स्वस्थ्य रहे तेरे दर पे
बस हाथ आपका चाहते अपने सर पे
नित नया रूप रावण है धर लेता
यहाँ निस दिन सीता हरण दिखायी देता
आकर के सीता मात को आज बचालो
गौ माता की रक्षा का भार उठा लो
हे राम हमें वो रामराज्य लौटा दो

वैर भाव नहीं रहे किसी में कोई
यह विनती करता आज तुम्हे हर कोई
महलो में राज कर रहे कलयुगी राजा
हे राम निकल तिरपाल से बाहर आजा
दम नहीं किसी में मंदिर भव्य बना दे
हे समय अभी अपना प्रताप दिखा दे
इस जग से नफरत नाम मिटा दो
हे राम हमें वो रामराज्य लौटा दो

— पुरुषोत्तम जाजु

पुरुषोत्तम जाजू

पुरुषोत्तम जाजु c/304,गार्डन कोर्ट अमृत वाणी रोड भायंदर (वेस्ट)जिला _ठाणे महाराष्ट्र मोबाइल 9321426507 सम्प्रति =स्वतंत्र लेखन