सखी री दीप जला/ग़ज़ल
कर सोलह शृंगार, सखी री दीप जला।
पावन है त्यौहार, सखी री दीप जला।
तम-विभावरी, झिलमिला रही, पूनम सी।
ज्योतित है संसार, सखी री दीप जला।
भाव-भावना पूर्ण अल्पना, शोभित हो।
बाँधो वंदनवार, सखी री दीप जला।
रिद्धि-सिद्धि के सुख-समृद्धि के, द्वार खुलें।
घर-घर पनपे प्यार, सखी री दीप जला।
पद्मवासिनी, वरदा लक्ष्मी, द्वार खड़ी।
कर स्वागत सत्कार, सखी री दीप जला।
धैर्य-ध्यान से, विधि विधान से, कर पूजन।
मंगल मंत्र उचार, सखी री दीप जला।
सतत साल भर, हों प्रकाशमय, जन-जन के।
आँगन, देहरी, द्वार, सखी री दीप जला।
कर्म-ज्ञान के, धर्म-दान के, रोशन हों।
हर मन में सुविचार, सखी री दीप जला।
चिर उजियाली, शुभ दीवाली, फिर लाए।
अपनों के उपहार, सखी री दीप जला।
— कल्पना रामानी
सुंदर रचना