कविता

चलो घोटाला करें…

कुछ तुम घोटाला करो, कुछ हम घोटाला करें।
आओ सब मिलकर, लोकतंत्र का मुंह काला करे॥

छोडो जमीर और नैतिकता के फालतू लफ्जों को।
मौका मिला है, चलो भुनाएं खूब गडबड झाला करे॥

ये जल जंगल जमीन आसमान आखिर हमारे ही तो हैं।
चलो बेच डालें सब, अपनी ना मिटने वाली भूख का निवाला करें॥

छोडो भी काले और सफेद धन की परिभाषा।
धन तो धन है जैसे भी आए आने दो, चलो हर रोज हवाला करे॥

इस प्रजाति में चुनिन्दा लोगों का वरण होता है।
जिसका नारा है, चलो घोटाला करें चलो घोटाला करे॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.