पत्नी जी की आरती
हे पत्नी तुम ही हो भार्या , तू ही बेटर हाफ
घर के संग में करती , पॉकेट भी तू साफ़
द्वार खड़े प्रभु तेरे , सुन लो ये अरदास
पतियों के संग होगा ,आखिर कब इन्साफ ……… तू ही बेटर हाफ
हाथ में बेलन साजे , सर पे क्रोध सवार
कमर में पल्लू खोसे , लड़ने को तैयार
महाकाली रणचंडी, का लगती अवतार
नयन झुकाए कहते आज तो कर दो माफ़ ………. तू ही बेटर हाफ
दोस्त यार सब छूटे , देख के तेरा ताप
किसके आगे काढे , अपने मन की भाप
बच्चे भी चुप रहते , और चुप उनका बाप
१००-१०० प्रश्न तू करती , कर लेता जो लाफ ……… तू ही बेटर हाफ
मइके जब तू जाती , हँस हँस के रोता
वो कुछ दिन का जीवन , स्वर्गमयी होता
पलंग पे पैर पसारे, खुल कर के सोता
आते ही गिर जाता, खुशियों का तो ग्राफ ……………. तू ही बेटर हाफ
— मनोज “मोजू”