गीत : शाहरुख खान के प्रति
(शाहरुख़ खान द्वारा करोङो भारतवासियों को असहिष्णु कहने पर इस फ़िल्मी वतन परस्त को फ़िल्मी अंदाज़ में जवाब देती मेरी नयी कविता)
हमने तुमको “दिल से” चाहा, “चाहत” का उपहार दिया
“दीवाना” पूरा भारत था, शोहरत का संसार दिया
“दिल तो पागल है” जनता का “बादशाह” तुमको माना
“मोहब्बतें” इतनी की हमने, धर्म तुम्हारा ना जाना
जब “चक दे इंडिया” कहा, तो भीड़ तुम्हारे साथ रही
“हैप्पी न्यू ईयर”जब आया, तो जगमग सारी रात रही
“चैन्नई एक्सप्रेस” तलक में तुमने खुल कर सफ़र किया
उत्तर से दक्षिण तक सबने, प्यार तुम्हारी नज़र किया
“दिलवाले दुलहनियां ले जायेंगे” तुमने जब बोला
तुमको मुम्बई ने पनाह दी, सबने अपना दिल खोला
“डॉन” बनाकर रक्खा तुमको, “बाज़ीगर” का ताज दिया
राजा तुम्हें “अशोका” समझा, सबने तुम पर नाज किया
लेकिन ये क्या? तुम “स्वदेश” को आज पराया कह बैठे
खुद को पूरे भारत का लाचार सताया कह बैठे
जिस जनता ने दौलत देकर तुमको भाव विभोर किया
साथ उसी जनता के तुमने, क्यों “वन टू का फोर” किया?
“डर” किसका, किसलिये झूठ का ढोल बजाकर बैठे हो
दिल के अंदर तुम कितना, “कोयला” सजाकर बैठे हो
आज तुम्हारी आँखों में नफरत का सावन देखा है
“रॉ-वन” के अंदर हमने फिर से इक रावण देखा है
उजड़ा जब केदारनाथ, तुम फूटी कौड़ी ना दे पाये
और कराची में करोड़ रुपये क्यों तुमने भिजवाये?
भारत को धिक्कार, पाक को तुम “यस बॉस”बोलते हो
और हमारी चाहत को मज़हब से आज तौलते हो
खूब दिया”अंजाम” प्यार का, आज वतन आभारी है
हमें बता दो कब भारत से जाने की तैयारी है?
जल्दी जाओ, अमन चैन की धरती केवल पाकिस्तान
कसम तुम्हें है लौट न आना शाहरुख़ जी, “जब तक है जान”
— कवि गौरव चौहान