बाल बाल बच गये
खुशीयों भरा माहौल से,
मैं घर से निकल रहा था।
बाइक को चालू करके ,
रास्ते पर चल दिया था।
सुन्दर बने रास्ते पे,
गाड़ी भगा रहा था।
रंगीन मौसम के माहौल में,
पानी बरस चुका था।
बादलों के बरसने से,
तरबतर पथ हो गया था।
ठन्डी हवा बह रही थी,
आनन्द मिल रहा था।
मैं सुख के अनुभूति में,
कुछ पल के लिए खो गया था।
मैं गाड़ी चला रहा हूँ,
खुद मैं भूल गया था।
इतने में मेरे उपर ,
निन्द का पहरा आ गया था।
मेरी गाड़ी हुई बेकाबू,
पथ से हट गयी थी।
मैं रोक नहीं पाया,
खांई में गिर गया था।
शुक्र था उपर के ईश्वर की,
मैं बाल बाल बच गया था।
वहाँ पर मानव ने अपनी,
मानवता मेरे साथ दिखलाया।
ठिठ-ठिक करके बाइक को,
मुझे भेज दिया था।
धन्य है ओ! मानव,
जिसने ये कार्य किया था।
मैं एैसे मानवता को,
आभार व्यक्त कर रहा हूँ।
जिसने किसी मानव को,
बचाने का कार्य कर गया था।
@रमेश कुमार सिंह
०२-०९-२०१५
अगर यह घटना हकीकत है तो आप को वधाई देता हूँ और उस नेक इंसान का आप के ऊपर मेहरबानिओं के लिए मेरा भी एक ग्रैंड सैलूट .