कहानी

संगति

एक गांव में एक गरीब परिवार रहता था करन इसी परिवार का एक सदस्य था करन के परिवार में कुल चार सदस्य थे, एक उसका छोटा भाई राजू और करन के माता-पिता। करन के पापा सुबह होते ही खेतों में निकल जाते थे और करन की मां सिलाई करती थीं उस समय करन ग्यारहवीं का विद्यार्थी था तथा उसका छोटा भाई सातवीं में पढ़ता था स्कूल थोड़ा दूर होने के कारण करन अपने भाई को अपने साथ ले जाता था करन अपने छोटे भाई से लड़ता रहता था ।
करन को शहर बहुत पसंद था इसलिए व। अपने घर वालों से हमेशा जिद करता कि उसको भी शहर में जाकर पढ़ना है पर उसके घर वाले यह नहीं चाहते थे कि उनका लड़का उनसे दूर रहे पर करन की जिद के आगे वे टिक न सके करन को उसके पापा ने शहर जाकर एक कालेज में उसे दाखिला दिलवा दिया और करन को वहीं होस्टल में एक रूम मिल गया।
जब करन पहले दिन अपनी क्लास में गया तो सब लोगों की नजर उस प रही थी और सब लोग उसे देखकर हंस रहे थे उसके लम्बे-लम्बे बाल और गाँव का पहनावा देखकर उसे अपने पास बैठाने कोई तैयार नहीं था मैडम ने करन को बुलाया और समझाया कि तुम्हें भी इन बच्चों की तरह बनकर रहना होगा वरना ये तुम्हारा मजाक उड़ाते रहेंगे फिर करन ने अपने बाल कटवाये और नये कपड़े खरीदे और सब की तरह बन गया।करन पढ़ने में काफी अच्छा था इसलिए बहुत जल्द उसके दोस्त बन गये।
कुछ दिनों बाद करन को अपने दोस्तों के साथ नसे की लत लग गयी उसका खर्चा बढ़ गया उसके घर वाले बड़ी मुश्किल से पैसे भेजते थे नसे की लत की वजह से करन पढ़ने में काफी कमजोर हो गया। एक दिन करन अपने दोस्तों के साथ दारू पीकर बीच रोड मे चल रहा था तभी अचानक एक कार उसे टक्कर मार कर चले गयी ये देखकर उसके सारे दोस्त वहां से भाग गये करन को होश नहीं रहा फिर किसी सज्जन आदमी ने कथन को अस्पताल पहुँचाया जब करन को होश आया तो करन के माता-पिता उसके पास थे तथा करन की माॅ रो रही थी करन को अब अपना गाँव याद आ रहा था ।
गाँव के दोस्त, गधेरो में नहाना, बगीचे में झूलना, अपने छोटे भाई से लड़ना, वो गाँव की पकडंडिया मानो करन को वापस बुला रहे हो करन एकदम अपनी मां से लिपट गया और जोर से रोने लगा और गाँव जाने को कहने लगा फिर करन के माता-पिता उसे गाँव ले आये गाँव में बहुत से लोग उनका इंतजार कर रहे थे गाँव आकर मानो करन को सबकुछ मिल गया हो तथा अब वो अपने गाँव के काॅलेज में ही पढ़ने लगा तथा हर बार उसके सबसे अच्छे अंक आने लगे।

दयाल कुशवाह

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