अन्य लेख

संता–बंता ने बदल लिया नाम, हो गये शुगली–जुगली

संता-बंता एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही जबरन होंठों पर मुस्कान आ जाती है| संता-बंता के नाम के चुट्कुले सारी दुनिया मे मशहूर है| इंटरनेट से लेकर अखबार-पत्रिकाओं और स्टेज शो से लेकर फिल्मों तक, हर जगह हंसी मज़ाक के लिए इनके नामों की धूम है| कितने लोगों को तो आज तक ये भी पता नहीं कि ये संता बंता वास्तव मे हैं कौन ? अधिकतर लोग इन्हे आज भी कोई काल्पनिक जोकर या हंसोड़ कॉमिक पात्र ही समझते हैं| ऐसे लोगों को अगर यह बताया जाय कि भई ! ये भी हमारे आपके जैसे ही जीवित हाड़ मांस के पुतले हैं, इनकी भी भावनाएँ हैं, ये भी हमारे जैसा ही सुख दुख अनुभव करने वाला जीवन जीते है, तो सहसा किसी को विश्वास नहीं होगा| लेकिन वास्तव मे यही सच है|jld-a2629099-large_2_

जी हाँ, संता – बंता दो जीवंत कैरेक्टर हैं, जो जाने-अनजाने सारी दुनिया मे हंसी मज़ाक का पर्याय बन चुके हैं| भारत के पंजाब प्रांत के जालंधर शहर निवासी ये दोनों व्यक्ति भाई है और इनके असली नाम गुरप्रीत सिंह और प्रभप्रीत सिंह है| बड़े भाई संता यानी गुरप्रीत एक बैंक मे मैनेजर की नौकरी करते हैं और छोटे भाई बंता यानी प्रभप्रीत एक प्रॉडक्शन कंपनी चलाते हैं| इन्हे बचपन से ही हंसने-हंसाने का बड़ा शौक था जो बाद मे प्रोफेशनल ढंग से व्यवस्थित हो गया और लगभग पैंतीस वर्षों के कैरियर मे वे संता बंता के नाम से किवदंती बन गये| हालांकि संता-बंता केवल 18 वर्ष पुराना नाम है पर इसके लोकप्रिय होने मे दोनों भाइयों की अद्भुद प्रतिभा का बड़ा योगदान है|

दरअसल वर्ष 1997 मे जब वे नववर्ष का एक प्रोग्राम ‘काला डोरिया’ कर रहे थे तो उनके एक शुभचिंतक दूरदर्शन के प्रोड्यूसर राजेश सिंह को लगा कि यदि वे घरेलू नामो के बजाए कोई अलग सा प्रोफेशनल नाम रख ले तो वह प्रशंसकों की जुबान पर जल्दी चढ़ जाएगा| उस समय प्रस्तावित हुआ ‘संता बंता’ नाम सचमुच लोकप्रिय हो गया और उनकी कामेडी और चुटकुलों का जादू लोगो के सिर चढ़कर बोलने लगा| फिल्मी दुनिया मे भी ऐसे अनेक उदाहरण है जब छद्म नामों से कलाकारों ने भारी लोकप्रियता अर्जित की और यहाँ तक प्रसिद्ध हुए कि लोग उनका असली नाम भी भूल गये| वैसे आपको यह भी बताते चलें कि इससे पहले संता बंता नाम वास्तव मे प्रसिद्ध पत्रकार खुशवंत सिंह की कल्पना के पात्र थे| जिनहे वे अपने चुटकुलों मे कभी कभार पेश करते थे|

प्रभप्रीत और गुरप्रीत के सभी कामेडी शो हमेशा मानवता और भाईचारे का संदेश भी देते हैं| 1982 से 1992 के दशक मे उन्होने पंजाब के मशहूर हास्य कलाकार चाचा रौनकी राम के साथ अनेक कार्यक्रम किए और मशहूर हुए| अपने हास्य कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक जागरूकता फैलाने का उनका विशेष प्रयास रहता था जिसके कारण सरकार ने भी उनकी सेवाएँ ली| 1984 के दंगों के समय हास्य और व्यंग्य के माध्यम से लोगों का डर निकालने के लिए उन्होने अनेक कार्यक्रम किए, जिनके लिए सरकार उन्हे पूरी सुरक्षा प्रदान करती थी| 1988 मे उनकी शुरुआत दूरदर्शन से भी हुई जिसमे उन्होने अपना पहला प्रोग्राम संदली पैण प्रस्तुत किया| इसके बाद रौनक मेला, लारा लप्पा, और बच के मुड़ आदि भी किए| वे अब तक दूरदर्शन पर 800 से अधिक प्रोग्राम कर चुके हैं| संता बंता के रूप मे वे बैंकाक, सिंगापुर, टोरंटो आदि विदेशी शहरों मे भी अनेक कार्यक्रम करके खूब प्रसिद्धि बटोर चुके हैं|

लेकिन संता बंता आज कल कुछ दुखी हैं| अपने जीवन मे ही लब्ध प्रतिष्ठ हो चुके ये कमेडियन हमेशा स्वस्थ मनोरजन को ही प्रधानता देते रहे हैं, किन्तु आजकल उनके नाम से अश्लील और गंदे चुटकुलों की बाढ़ सी आ गई है| इन्टरनेट और एसएमएस ने आग मे घी का काम किया है| जिधर देखो संता बंता के नकली चुट्कुले छाये हुए हैं जो समाज मे उनकी गलत छवि पेश करते हैं| उनके बच्चे भी उनसे कहने लगे हैं कि पापा अब ये सब ठीक नहीं| उधर सिख धर्म के लोगों ने भी संता बंता के नाम पर सरदारों के लिए बन रहे अश्लील चुटकुलों पर आपत्ति जताई थी|

सुप्रीम कोर्ट मे भी इसी आशय की एक अपील दायर की गई थी| अंततः इतनी मेहनत से इस मुकाम तक पहुँचने वाले संता बंता को अब अपने इस प्रसिद्ध नाम से एलर्जी हो गई है| सो उन्होने अपना यह नाम बदलने का निर्णय ले लिया है| वे अब संता की जगह शुगली और बंता की जगह जुगली के नाम से जाने जाएंगे| संता-बंता का यह निर्णय उनके तमाम चाहने वालों के लिए झटके जैसा तो है, किन्तु हम यह प्रार्थना करेंगे कि शुगली जुगली भी उसी प्रकार अपने उद्देश्य मे सफल हो और उनका यह नया नाम भी उन्हे सारी दुनिया मे प्रतिष्ठा दिलाये|

अरविन्द कुमार साहू

सह-संपादक, जय विजय