रौब गर तुमको जमाना, जी हुजूरी तुम करो
कोष गर तुमको बढ़ाना, जी हुजूरी तुम करो
झूठ को है सच कराना, जी हुजूरी तुम करो
ब्लैक धन हो जो कमाना, जी हुजूरी तुम करो।
झाड़ भाषण मंच पे वो, वाहवाही लूटते
शासनी घोड़े मिले तो, दौड़ ऐसे छूटते
राग कुछ ऐसा अलापा, रोज जनता लड़ गई
वोट देकर खुद पगों में, वो कुल्हाड़ी जड़ गई।