ग़ज़ल
कभी दूर जाने की बात है,
कभी पास आने की बात है
नहीं दिल्लगी दिलबर मेरे,
ये दिल लगाने की बात है
मेरा ज़िक्र सुनकर बोले वो,
ये किस दीवाने की बात है
रस्म-ए-उल्फत आजकल,
गुज़रे ज़माने की बात है
अँधेरा मिट जाएगा बस,
शमा जलाने की बात है
मेरे दिल को रखूँ साफ मैं,
तेरे आशियाने की बात है
मेरी आँखों में पढ़ इश्क तू,
ये कहां सुनाने की बात है
— भरत मल्होत्रा।
वाह वाह ,किया बात है ,बहुत खूब .
सुंदर रचना