केजरीवाल की खुलती पोल
फरवरी 2015 में जब से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला है व उनको जिसप्रकार का बहुमत प्राप्त हुआ है उसके बाद से वह लगातार बेलगाम होते जा रहे हैं। दिल्ली सचिवालय में सीबीआई ने उनके प्रधान सचिव के कार्यालय पर छापा क्या मारा है, वह पूरी तरह से एक पराजित खिलाड़ी की तरह से बदहवास हो गये हैं और एक छोटे से राज्य का चुना हुआ मुख्यमंत्री देश के बहुमत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपमानित कर रहा है। पीएम मोदी के लिए ‘कायर’ और ‘मनोरोगी’ जैसे शब्दों का प्रयोग करके ट्विटर के सहारे पूरे विश्व में उनका अपमान कम और अपनी दिमागी कमजोरी का प्रदर्शन अधिक कर रहे हैं।
दिल्ली सचिवालय में सीबीआई छापे की घटना को जिस प्रकार से तोड़़ मरोड़ करके ट्विटर के सहारे एक के बाद मीडिया व जनता के सम्मुख प्रस्तुत किया है उससे यह अधिक स्पष्ट हो गया है कि केजरीवाल अब मानसिक रूप से दिवालिया और बुरी तरह से बीमार हो चुका है जिसे केवल और केवल मोदी ही मोदी चारों तरफ नजर आने लग गये हैं। कृष्ण युग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और राक्षसराज कंस को अपनी मौत सामने दिखलायी पड़ रही थी तब उस समय कंस का हाल भी कुछ ऐसा ही हो गया था। आजकल कलयुगी कंस केजरीवाल को चारों तरफ मोदी, मोदी और मोदी ही नजर आ रहे हैं। हर बात पर आजकल आम आदमी पार्टी के नेता दिनभर और रातभर यही सोच विचार करते रहते हैं कि किस बहाने पीएम मोदी का अपमान किया जाये और भाजपा को बदनाम और नीचा दिखाया जाये। आज केजरीवाल ने अपनी नकारात्मकता की सारी सीमा लांघ दी है और वह ऐसा करके सोच रहे हैं कि हम जनता के बीच बहुत अच्छा संदेश दे रहे हैं। जब आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान पीएम मोदी के सामने आकर संसद में हंगामा कर रहे थे तो पीएम मोदी ने अपनें हिस्से का पानी उन्हें पिलाया। इस प्रकरण के मीडिया में वायरल होने के बाद आप नेता संजय सिंह ने कहा कि पीएम मोदी अगर यह पानी देश के किसानों को पिलाते तो ज्यादा अच्छा होता उनकी मानसिकता का दर्शन कराता है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अब तक दिल्ली के लिए कोई बेहतर काम व निर्णय किया ही नहीं है। वे जो भी कर रहे है केवल अपनी त्वरित प्रसिद्धि के लिए। जब जनलोकपाल बिल पेश किया तो अति उत्साह में बोल गये कि यदि पीएम हत्या करे तो उसे भी जेल में डाल दो। आखिर उनका इशारा किसकी ओर था। केवल अपने विधायकों की सैलरी बढ़ाने के अलावा और किया ही क्या है? केजरीवाल की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की असली पोल तो उसी समय खुल गयी थी जब उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से 49 दिनों की सरकार बनायी और धरना प्रदर्शन के माध्यम से अराजकता व ऊधम मचाने के बाद कुर्सी छोड़कर भाग खड़े हुए। आजकल टी वी चैनलों पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता बहुत अपशब्दों व घमंडी तेवरों के साथ वार्ता करके अपने घटिया व छिछोरेपन का ही प्रदर्शन कर रहे हैं। केजरीवाल की सर्वाधिक दिलचस्प पोल तो बिहार चुनाव के समय में ही खुल गयी थी। जब वे रोज-रोज नीतिश कुमार और लालू प्रसाद के गठबंधन को जिताने के लिए ट्विट पर ट्विट करने लग गये।
सबसे अधिक आनंद तो उस दिन आ गया था जब उन्होंने शपथ ग्रहण समोराह के दौरान लालू प्रसाद से हाथ मिलाकर दोस्ताना फोटो खिचवाये। तब देश के बुद्धिजीवियों ने उसकी जमकर आलोचना प्रारम्भ कर दी यहां तक कि उनके गुरू अन्ना हजारे ने भी उनका कड़ा विरोध किया तब कहने लग गये कि लालू ने उनका हाथ जबर्दस्ती उठवा दिया था। इस प्रकार केजरीवाल पूरे भारत को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया। केजरीवाल जैसा स्वार्थी, अहंकारी व मानसिक रूप से विकृत राजनीतिज्ञ न तो हुआ है और न होगा। यह रोज हर दिन कुछ न कुछ फर्जी मामलों को निकालकर लाता है, जिनका जनता से कोई मतलब ही नहीं रहता है। केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को स्वराज लाने का वायदा किया था साथ ही भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन देने का वायदा किया था लेकिन अब वह वक्री शनि की तरह व्यवहार करने लग गये हैं। उनका सम-विषम का फार्मूला भी तुगलकी फरमान ही है। वैसे भी आज केवल केजरीवाल ही पूरे भारत के महानतम नागरिक, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ रह गये हैं, बाकी सब तो चोर हैं।
— मृत्युंजय दीक्षित