कवितापद्य साहित्य

पहल

पहल किया था अन्ना ने, वे भ्रष्टाचार मिटायेंगे
भ्रष्टाचार मिटाने को. वे लोकपाल को लायेंगे.
पर, भ्रष्टाचार मिटा है क्या ?
पहल किया था संसद ने भी, लोक पाल बिल ले आया
ऐसा लोकपाल बिल जो, सब सांसद को मन भाया
पर, भ्रष्टाचार मिटा है क्या?
पहल किया था जनता ने भी, बदल दिया सरकार को
कठपुतली को हटा दिया, बैठाया चौकीदार को
पर, भ्रष्टाचार मिटा है क्या?
पहल किया ‘जनसेवक’ जी ने, झाड़ू स्वयम लगा देखी
देखा-देखी किया सभी ने, जनता ने फोटो देखी
सच में, साफ़ हुआ है क्या?
पहल किया जब ‘आप’ ने, जनता ने झट दिल्ली सौंपी
ऐसा बहुमत मिला उसे, बाकी सब की बज गयी पीपी
पर, दिल्ली कुछ बदली है क्या?
और कहाँ तक गिने, मिल गए भुजंग-चन्दन कुमार
जनता ने दी कुर्बानी, बन गयी मिली जुली सरकार
देखें, बिहार बदला है क्या?
पहल अभी भी जारी है, बहस अभी भी जारी है
संविधान गुण गाते गाते, हो हल्ला की बारी है
देखें, कुछ बदला है क्या?