कविता

कविता : भीतर का ठहराव

मैं पाता हूँ कभी – कभार
एक ठहराव अपने भीतर
कर देना चाहता हूँ कलमबध
अनेक पीड़ाओं को
और साथ ही
अकस्मात उभर आये
अपरिभाषित खालीपन को l

कलम को कागज पर टिका कर
देना चाहता हूँ मूर्त रूप शब्दों का
मगर सियाचिन के ग्लेशियरों की मानिंद
शून्य हो जाता है जैसे तापमान भीतर का l

शब्द चाहते हैं आकार पाना
मगर जम जाते हैं जैसे
जहन में ही कहीं
कड़कड़ाती ठण्ड के
कोहरे की तरह l

भीतर का यह जमघट
बढ़ने लगता है जब कभी
ठोस रूप लेकर
तो महसूस करता हूँ
एक भारीपन अंदर तक
चाहता हूँ कि
यह गतिशील और प्रवाहमान रहे
सदैव ही l

ये ठहराव कष्टकारक है
बहना पर्याय है जीवन का
भीतर की सरिता का बहाव ही
तय करेगा
नए रास्ते
नए आयाम
और नई मंजिलें !

मनोज चौहान

जन्म तिथि : 01 सितम्बर, 1979, कागजों में - 01 मई,1979 जन्म स्थान : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के अंतर्गत गाँव महादेव (सुंदर नगर) में किसान परिवार में जन्म l शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), पीजीडीएम इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी l सम्प्रति : एसजेवीएन लिमिटेड, शिमला (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में उप प्रबंधक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : 20 मार्च, 2001 से (दैनिक भास्कर में प्रथम लेख प्रकाशित) l प्रकाशन: शब्द संयोजन(नेपाली पत्रिका), समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, मधुमती, आकंठ, बया, अट्टहास (हास्य- व्यंग्य पत्रिका), विपाशा, हिमप्रस्थ, गिरिराज, हिमभारती, शुभ तारिका, सुसंभाव्य, शैल- सूत्र, साहित्य गुंजन, सरोपमा, स्वाधीनता सन्देश, मृग मरीचिका, परिंदे, शब्द -मंच सहित कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पत्र - पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में कविता, लघुकथा, फीचर, आलेख, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रकाशित पुस्तकें : 1) ‘पत्थर तोड़ती औरत’ - कविता संग्रह (सितम्बर, 2017) - अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद(ऊ.प्र.) l 2) लगभग दस साँझा संकलनों में कविता, लघुकथा, व्यंग्य आदि प्रकाशित l प्रसारण : आकाशवाणी, शिमला (हि.प्र.) से कविताएं प्रसारित l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय – महादेव, तहसील - सुन्दर नगर, जिला - मंडी ( हिमाचल प्रदेश ), पिन - 175018 वर्तमान पता : सेट नंबर - 20, ब्लॉक नंबर- 4, एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट ऑफिस- दत्तनगर, तहसील - रामपुर बुशहर, जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश)-172001 मोबाइल – 9418036526, 9857616326 ई - मेल : mc.mahadev@gmail.com ब्लॉग : manojchauhan79.blogspot.com

3 thoughts on “कविता : भीतर का ठहराव

  • मनोज जी ,कविता बहुत अच्छी लगी .

    • मनोज चौहान

      जी आभार सर आपका …मेरी हौसला अफजाई के लिए ….!

    • मनोज चौहान

      जी आभार सर आपका …मेरी हौसला अफजाई के लिए ….!

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