कविता

मेरा मेकअप

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मेरे पास कुछ नहीं था अपना
बस दो चीजें लेकर जीवन में चली
एक थी मुस्कुराहट और एक थी दुआ
वो भी न रख पाई अपने लिये
बाँटती रही सदा दूसरों को
अपने पास दो चीजें छिपा लीं थी
एक था गम और एक थे आंसू
इन्हे किसी को नहीं दे पाई कभी
सारा गम , सारे आंसू पी लिये खुद ही
इन आंसूओ ने धो दिया चेहरा मेरा
सारे गम छुप गये कहीं
मुस्कुराहट ने चेहरा चमका दिया
न चिन्ता न चालाकी की कभी
बस सादगी से जीवन बिता दिया
सब को उनके कर्मों पर छोड़ दिया
बस अपने कर्म अच्छे करने का प्रयास करती रही
दुख आते रहे जाते रहे
लेकिन दोस्तो के प्यार ने सदा साथ दिया
न जरूरत पड़ी मेकअप की कभी
आप सबका प्यार चेहरा चमकाता रहा……

— रमा शर्मा

रमा शर्मा

लेखिका, अध्यापिका, कुकिंग टीचर, तीन कविता संग्रह और एक सांझा लघू कथा संग्रह आ चुके है तीन कविता संग्रहो की संपादिका तीन पत्रिकाओ की प्रवासी संपादिका कविता, लेख , कहानी छपते रहते हैं सह संपादक 'जय विजय'